कहानी उस मुगल बादशाह की जिसे देना पड़ा था अपनी मर्दानगी का सबूत

औरंगज़ेब के बाद मुग़ल सल्तनत का पतन क्यों हुआ? UPSC के इस सवाल के हज़ारों जवाब मिल सकते हैं। लेकिन मुग़ल सल्तनत (Mughal Empire) के दौर में हिन्दुस्तानी संगीत पर शोध करने वाली कैथरीन ब्राउन मानती हैं कि इस सवाल के उत्तर में एक जवाब हो सकता है, औरंगज़ेब का संगीत पर पाबंदी लगाना। लेकिन मुगलों में एक ऐसा शासक आया जिसने संगीत और कला को पुनर्जीवित किया जिसपर नामर्द होने के आरोप भी लगे।

संगीत और कला को मिले नए पंख

साल 1707 में औरंगजेब की मौत हुई। मुगल साम्राज्य का अस्तित्व खतरे में आने लगा, तब मुहम्मद शाह रंगीला ने उसे संभाला। मुहम्मद शाह के दौर में संगीत और कला को विशेष महत्व दिया गया। जो कला औरंगजेब के काल में मुरझा गई थी उसे मानों दोबारा नए पंख मिल गए। इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल लिखते हैं कि यूं तो मुहम्मद शाह रंगीला और बहादुर शाह जफर कोई ऐसे मुगल सम्राट नहीं थे जिन्हें सफल बादशाह में गिना जा सके, लेकिन उनके कार्यकाल में कला को बढ़ावा दिया गया और इस क्षेत्र में कई असाधारण काम किए गए।

इस हरकतों की वजह से फैली नामर्द होने की बात

रंगीला नाम सुनते ही लगता है जैसे किसी रंगीन मिजाज आदमी के लिए कहा गया हो। और मुहम्मद शाह ने भी इस नाम को सही ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने किसी भी जंग में हिस्सा नहीं लिया. बल्कि उनका सारा दिन मुर्गे लड़ाने, बाजागरी, जादू, ये सब देखने में गुजरता था। रातें और भी रंगीन होती थीं. बादशाह को एक अनोखा शौक ये भी था कि उन्हें औरतों के कपड़े पहनना पसंद था। वो दरबार में अक्सर जानना लिबास पहनकर आ जाते थे। और इसी के चलते उनके नामर्द होने की अफवाह भी फैलने लगी थी।

जब बादशाह ने दिया नामर्दांगी का सबूत

मुहम्मद शाह रंगीला के शासन में ही उसके नामर्द होने की अफवाह फैली। इस अफवाह को गलत साबित करने के लिए मुहम्मद शाह रंगीला ने एक पेंटिंग बनवाई थी, जिसमें उसे एक दासी के साथ सम्बंध बनाते हुए दिखाया गया था। उस दौर की वो पेंटिंग काफी चर्चा में रही थी।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *